प्राचार्य
ज्ञान मनुष्य को सम्पूर्ण, सार्थक, सभ्य और सामाजिक बनाता है। ज्ञान का महत्व और उसकी उपयोगिता का प्रमाण गर्भस्थ अभिमन्यु के समय से ही मिलता है। शिक्षा का महत्त्व न सिर्फ जन्म के बाद है अपितु उसके पहले से भी है। तथागत बुद्ध ने भी अशिक्षा को मानवीय जीवन का सबसे बड़ा दोष माना है, अतः एक शिक्षित और संस्कारित व्यक्ति ही पूर्ण मनुष्य है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन भारतीय ज्ञानियों, तपस्वियों और मनीषियों की परंपरा को सुरक्षित रखने तथा उनकी शिक्षाओं का अनुकरण करते हुए नई पीढ़ी को उत्तराधिकार में प्रदान करने का कार्य वर्षों से कर रहा है। इसी श्रृंखला में हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रस्तावित संस्तुतियों आधुनिक शिक्षण विधियों, कक्षा-कक्ष प्रविधियों व नवीन तकनीकों का उपयोग करते हुए नन्हें बाल मन में ज्ञान के दीपक को प्रज्वलित करने के लिए अग्रसर है । विद्यालय बालक का समाज के साथ प्रथम परिचय होता है, जहां वह सहायता, स्नेह, सौहार्द और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा जैसे गुणों को सीखता है। इस प्रकार वह एक आदर्श जीवन के मार्ग पर प्रशस्त होता है ।
केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2, ईटानगर के प्राचार्य के रूप में मैं भाग्यशाली और गौरवान्वित महसूस करता हूं जहां विद्यालय परिवार का प्रत्येक सदस्य सीखने की भावना से प्रेरित है और हर नया दिन सीखने, विकसित होने अवसर है।
श्री विनय कुमार
प्राचार्य